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वोटर आईडी को भी आधार से लिंक करने की तैयारी, 18 मार्च को EC की बड़ी बैठक; EPIC मामले पर भी बनेगी बात

पैन कार्ड की तरह अब वोटर आईडी कार्ड को भी आधार कार्ड से लिंक करना होगा. इसको लेकर चुनाव आयोग (Election Commission) ने तैयारी शुरू कर दी है. सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग (EC) ने अगले सप्ताह केंद्रीय गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक बुलाई है, जिसमें मतदाता पहचान पत्रों के साथ आधार संख्या को जोड़ने के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी.

18 मार्च को होगी चुनाव आयोग की बैठक

मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार और चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी की मौजूदगी वाली चुनाव आयोग की टीम मतदाता पहचान पत्रों में आधार संख्या को जोड़ने के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए 18 मार्च को केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, विधायी विभाग के सचिव राजीव मणि और यूआईडीएआई के सीईओ भुवनेश कुमार से मुलाकात करेगी. यह बैठक विपक्षी इंडिया ब्लॉक दलों द्वारा देश के विभिन्न भागों में मतदाता सूचियों में अनियमितताओं के आरोप लगाए जाने की पृष्ठभूमि में हो रही है.

2021 में मिली थी आधार-EPIC लिंकिंग की अनुमति

साल 2021 में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में संशोधन के बाद आधार कार्ड को वोटर आईडी कार्ड यानी EPIC (इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड) जोड़ने की अनुमति मिल गई थी. इसके बाद साल 2022 में चुनाव आयोग (Election Commission) ने स्वैच्छिक आधार पर मतदाताओं से आधार नंबर एकत्र करना शुरू कर दिया. हालांकि, चुनाव आयोग (EC) ने अभी तक मतदाता सूची के अपने संशोधनों में आधार संख्या का उपयोग नहीं किया है. इसका उद्देश्य मतदाता सूची में मतदाताओं के डुप्लिकेट पंजीकरण का पता लगाने में आयोग की सहायता करना था. मतदाताओं के लिए आधार-ईपीआईसी लिंकिंग को अनिवार्य नहीं बनाया गया है.

ईपीआईसी नंबर को लेकर क्या है विवाद?

तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में मतदाताओं के एक ही ईपीआईसी नंबर होने का मुद्दा उठाया है. ईपीआईसी विवाद को टीएमसी प्रमुख और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में कोलकाता में अपनी पार्टी के एक सम्मेलन में उठाया था, जहां उन्होंने भाजपा पर चुनाव आयोग के साथ मिलीभगत करके मतदाता सूचियों में कथित रूप से हेरफेर करने का आरोप लगाया था. इसके कारण चुनाव आयोग को यह स्वीकार करना पड़ा कि कुछ राज्य मुख्य चुनाव अधिकारियों (सीईओ) ने ईपीआईसी नंबर जारी करते समय गलत अल्फ़ान्यूमेरिक श्रृंखला का इस्तेमाल किया था.

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