पोप फ्रांसिस की कौन लेगा जगह? वेटिकन में चिमनी से निकला काला धुआं, पहले दिन नहीं हो पाया चुनाव

वेटिकन सिटी: अगला पोप चुनने में कुछ ही घंटों की देर है. वहीं बुधवार को सिस्टिन चैपल की चिमनी से घना काला धुआं निकलते ही लोगों को ये समझने में देर नहीं लगी कि कार्डिनल अपने पहले कॉन्क्लेव वोट में कैथोलिक चर्च के नए पोप का चुनाव करने में सफल नहीं रहे.
बता दें कि धुएं का इंतज़ार करने के लिए सेंट पीटर्स स्क्वायर में हज़ारों की भीड़ जमा थी. ये भीड़ नए पोप के चुनाव में जुटे 133 कार्डिनल के चैंबर में बंद होने के तीन घंटे और 15 मिनट बाद निकले काले धुएं के गुबार को देखकर मायूस हो गई.
काला धुआं निकलने के बाद अब प्रीलेट्स सांता मार्टा गेस्टहाउस में वापस चले जाएंगे. जहां वे चुनाव के लिए ठहरे हुए हैं. और उसके बाद गुरुवार को फिर से मतदान शुरू करेंगे.
गौर करें तो 21 अप्रैल को पोप फ्रांसिस की मृत्यु के बाद कार्डिनल्स को रोम वापस बुलाया गया था. पोप फ्रांसिस 12 साल तक दुनिया के 1.4 बिलियन कैथोलिकों के प्रमुख रहे थे.
सदियों पुरानी परंपरा रही है कि 80 वर्ष से कम आयु के लोग सिस्टिन चैपल में गुप्त रूप से मतदान करते हैं, जब तक कि उनमें से कोई एक पोप चुने जाने के लिए दो-तिहाई बहुमत यानी 89 वोट प्राप्त नहीं कर लेता.
बता दें कि वोटिंग के दौरान कॉर्डिनल का ध्यान न भटके, इसके लिए उन्हें बंद कर दिया गया है. और चुनाव परिणाम बताने के लिए चिमनी से निकाले जाने वाले धुएं का सहारा लिया जाता है. सफेद धुआं देखकर ये पता चल जाता है कि नए पोप का चुनाव कर लिया गया है. वहीं काला धुआं देखकर ये पता चलता है कि अभी चुनाव प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है. कहने का मतलब है कि अगर कोई निर्णय नहीं होता है तो यह काला धुआं है. और अगर उन्हें नया पोप मिल जाता है तो सफेद धुआं निकलता है.
यह सम्मेलन अब तक का सबसे बड़ा और सबसे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन है, जिसमें लगभग 70 देशों के कार्डिनल एकत्रित हुए हैं. इनमें से ऐसे कार्डिनल भी हैं, जो एक-दूसरे को जानते तक नहीं.
बता दें कि करिश्माई अर्जेंटीना फ्रांसिस जिन्हें दुनिया फ्रांसिस पोप के नाम से जानती थी, के चुनाव में कुछ ही घंटों की देरी है. वहीं कार्डिनल चर्च के भीतर प्रगतिशील और रूढ़िवादी परंपराओं की एक श्रृंखला का प्रतिनिधित्व करने वालों के बीच से ही पोप का चुनाव करना है.