एनसीआरग्रेटर नोएडा

ठगी के बड़े खेल का भंडाफोड़, चीन के नागरिकों के साथ मिलकर 500 लोगों से की थी 235 करोड़ की धोखाधड़ी

एसटीएफ की नोएडा यूनिट को चीनी नागरिकों की मदद से लोगों को डिजिटल अरेस्ट कर ठगने वाले गिरोह के बारे में अहम जानकारी मिली है। जांच में सामने आया है कि बुधवार को दबोचे गए हर्षवर्धन और रोहन ने अपने साथी रॉकी समेत अन्य के साथ मिलकर 500 से अधिक लोगों के साथ अब तक सवा दो अरब से अधिक रुपये की ठगी की है।

गिरोह के सदस्यों के पास से, जो 152 म्यूल अकाउंट मिले, उन पर एनसीआरबी पोर्टल पर 471 शिकायतें देशभर में दर्ज हैं। इनमें से 75 में केस भी दर्ज हो चुका है। अपर पुलिस अधीक्षक एसटीएफ राजकुमार मिश्र ने बताया कि देश में बैठे कुछ आरोपी चीन के नागरिकों (हैंडलरों) की मदद से लोगों को डिजिटल अरेस्ट कर व्यापक स्तर पर ठगी कर रहे थे। इसकी जानकारी मिलने के बाद गिरोह का पर्दाफाश करने के लिए विशेष टीम बनाई गई। टीम ने 13 फरवरी को अलीगढ़ निवासी मोहन सिंह उर्फ रॉकी, बागपत निवासी संयम जैन और टप्पल निवासी अरमान को दबोच लिया। दोनों ने अपने दो अन्य साथियों हर्षवर्धन और रोहन के बारे में जानकारी दी। उन दोनों को भी बुधवार को सूरजपुर से ही दबोच लिया गया। आरोपियों के पास से लाखों रुपये, कई मोबाइल और पासपोर्ट समेत अन्य दस्तावेज बरामद हुए।

मामले की जांच में पता चला कि पांचों आरोपियों ने चीन के नागरिकों के साथ मिलकर देश के लोगों के साथ 235 करोड़ रुपये की ठगी की। 90 प्रतिशत से अधिक रकम चीन के नागरिकों तक यूएसडीटी समेत अन्य माध्यमों से पहुंच चुकी है। बाकी की रकम के गिरफ्त में आए आरोपी और उनके कुछ अन्य साथी हिस्सेदार हैं।

हैंडलर के बारे में अहम जानकारी मिली : एसटीएफ के पुलिस अधिकारी राजकुमार मिश्र का कहना है कि रोहन और रॉकी से पूछताछ करने के बाद ठगी में शामिल चीन के हैंडलर के बारे में भी कई अहम जानकारी मिली है। गिरोह के सदस्यों द्वारा इस्तेमाल किए गए खातों की गहनता से जांच की जा रही है। ठगी के लिए आरोपियों ने कितने मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया, इसके बारे में भी पता लगाया जा रहा है। गिरफ्त में आए कई आरोपी छात्र भी हैं। उनसे मामले में पूछताछ की जा रही है।

टेलीग्राम पर ठगी का नेटवर्क : आरोपी हर्षवर्धन और रोहन ने पूछताछ के दौरान बताया कि उनका चीन के हैंडलरों से संपर्क है। सट्टा खेलने के दौरान रोहन की मुलाकात कानपुर में आमिर से हुई। आमिर कमीशन के आधार पर चीन के नागरिकों को म्यूल खाते उपलब्ध कराता था। उसी से काम सीखकर रोहन टेलीग्राम चैनल पर चीन के हैंडलर के संपर्क में आया और उन्हें भारतीय नागरिकों के म्यूल खाते उपलब्ध कराने लगा। इसमें उसे मोटा कमीशन मिलने लगा। आरोपियों ने पूछताछ के दौरान इस बात को भी स्वीकार किया कि वे टेलीग्राम ऐप पर चीन के नागरिकों के संपर्क में रहते थे। रकम यूएसडीटी वॉलेट के माध्यम से ट्रांसफर की जाती थी। आरोपी कहीं होटल में बैठकर ऐसे बैंक खातों को लॉगिन करके एपीआई टूल के जरिए विदेश में बैठे चाइनीज हैंडलर को फंड उपलब्ध कराते।

बैंक खाते मुहैया कराते थे आरोपी

गिरफ्त में आए आरोपियों द्वारा ही चीन के नागरिकों को ठगी के लिए खाते मुहैया कराए जाते थे। योजना के तहत आरोपी म्यूल अकाउंट खुलवाते थे। कभी-कभी ठगी में किराये के खातों का भी इस्तेमाल किया जाता था। आरोपी गेमिंग व ट्रेडिंग ऐप के माध्यम से धोखाधड़ी करके धन अर्जित करने वाले गिरोह के सरगना को भारतीय नागरिकों के बैंक खाते उपलब्ध कराते थे।

ड्रैगन मैसेज ऐप से होती थी क्लोनिंग

खाताधारक का मोबाइल नंबर, जो बैंक में रजिस्टर्ड है, उसे फोन में डालकर आरोपी चाइनीज ड्रैगन मैसेज ऐप इंस्टाल कर लेते। इस एप्लीकेशन से बैंकिंग लेनदेन के ओटीपी, जो भी इस नंबर आते है, चीन में बैठे हैंडलर को दिखाई देते। वे ऑटोमैटिक रूप से खाते से धन प्राप्त करने के लिए एपीआई से कनेक्ट हो जाते। एपीआई के जरिए वे इस खाते से अपने अन्य खातों में रुपये ट्रांसफर कर लेते। इस धन से क्रिप्टो करेंसी यूएसडीटी खरीदते और यूएसडीटी में ही भारत में अपने गैंग को रुपये देते।

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