50 से अधिक लोगों ने किया था गाय के दूध का सेवन, महिला की मौत के बाद संक्रमण को लेकर लोगों में डर

दिल्ली-एनसीआर नें एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सभी को हैरान करके रख दिया. यहां ग्रेटर नोएडा में एक महिला की पिछले दिनों मौत हो गई. पता चला कि उसकी मौत रेबीज से हुई थी, जो उसे गाय का दूध पीने से हुआ था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह महिला जिस गाय का दूध पिया करती थी, उसे एक आवारा कुत्ते ने काट लिया था, जिससे वह रेबीज से संक्रमित हो गई थी.
जानकारी के अनुसार, आसपास के कुछ लोगों ने एहतियातन रेबीज का टीका लगवा लिया था, लेकिन महिला ने कोई सावधानी नहीं बरती. दूध पीने के कुछ दिनों बाद उसमें रेबीज के लक्षण दिखने लगे. जब उसकी हालत बिगड़ी तो परिवार के लोग उसे कई अस्पतालों में लेकर गए, लेकिन हर जगह से उन्हें निराशा हाथ लगी. आखिरकार जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने जवाब दे दिया और उसे घर ले जाने की सलाह दी. घर पहुंचने के कुछ समय बाद ही महिला की मौत हो गई.
क्या गाय-भैंस के दूध से भी हो सकता है रेबीज?
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि रेबीज से संक्रमित पशु (गाय और भैंस) के दूध में भी रेबीज वायरस हो सकता है. अगर ऐसा दूध बिना उबाले पिया जाता है, तो संक्रमण का खतरा रहता है. रिपोर्ट में ‘बिना उबाले दूध पीना’ रेबीज संक्रमण के जोखिम के अनुसार श्रेणी 1 में रखा गया है. इसी श्रेणी में संक्रमित जानवर द्वारा चाटे जाने, नाक, मुंह, आंखों या जननांगों पर लार लगने और खरोंच के बिना काटे जाने जैसी स्थितियां भी शामिल हैं.
ICAR की रिपोर्ट के अनुसार, रेबीज वायरस मस्तिष्क पर हमला करता है. एक बार जब यह मस्तिष्क तक पहुंच जाता है और लक्षण उभरने लगते हैं, तो यह संक्रमण लगभग असाध्य हो जाता है और कुछ ही दिनों में मौत हो जाती है. इसलिए, किसी संक्रमित जानवर के संपर्क में आने पर तत्काल टीका लगवाना आवश्यक है.
रेबीज के लक्षणरेबीज एक जानलेवा वायरल संक्रमण है जो आमतौर पर संक्रमित जानवर के काटने से फैलता है। इसके लक्षण दिखने में हफ्तों से महीनों तक लग सकते हैं, लेकिन एक बार लक्षण विकसित होने के बाद यह लगभग हमेशा घातक होता है.
इसके शुरुआती लक्षण हल्के होते हैं. इसमें संक्रमित व्यक्ति को बुखार, सिरदर्द, कमजोरी और बेचैनी महसूस हो सकती है. कई बार संक्रमित स्थान पर खुजली, झनझनाहट या जलन भी महसूस होती है, जो एक प्रारंभिक चेतावनी संकेत हो सकता है. जैसे-जैसे वायरस दिमाग में फैलता है, मरीज में मानसिक भ्रम, घबराहट, आक्रामकता और बोलने-समझने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखने लगते हैं. एक प्रमुख लक्षण जल का भय (हाइड्रोफोबिया) होता है, जिसमें पानी निगलने में परेशानी होती है और अत्यधिक लार निकलती है. कुछ मामलों में लकवा (पैरालिसिस) या अत्यधिक बेचैनी भी हो सकती है.
अंतिम चरण में, संक्रमण कोमा, सांस लेने में रुकावट और आखिरकार मृत्यु का कारण बनता है. चूंकि एक बार लक्षण दिखने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है, इसलिए काटे जाने के तुरंत बाद टीका लगवाना ही इस बीमारी से बचने का एकमात्र तरीका है.