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नोएडा में बनेगा मोबिलिटी कॉरिडोर, सेक्टर-62 से मामूरा तक खत्म होगा जाम

नोएडा में सेक्टर-62 मॉडल टाउन गोल चक्कर को जाम मुक्त करने के लिए अथॉरिटी का प्रयास जारी है। नोएडा अथॉरिटी ने मार्च में सेक्टर-62 मॉडल टाउन गोलचक्कर से सेक्टर-60 मामूरा तक मोबिलिटी कॉरिडोर बनाने की योजना तैयार की थी। इस योजना पर काम करते हुए अथॉरिटी ने टेंडर भी जारी किया था। कई एजेंसी इस टेंडर को लेने के लिए आगे भी आई, लेकिन दावा है कि सभी एजेंसियां मानकों पर खरा नहीं उतर सकी। जिसके बाद अथॉरिटी ने अगले सप्ताह दोबारा टेंडर जारी करने का ऐलान किया है।

5 लाख लोगों को मिलेगी राहत

बताया जा रहा है कि मोबिलिटी कॉरिडोर योजना के तहत दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे से लगे सेक्टर-62 मॉडल टाउन गोलचक्कर से मामूरा तक ट्रैफिक व्यवस्था बेहतर करने, सौंदर्यीकरण समेत अन्य काम किए जाने हैं। नोएडा अथॉरिटी सीईओ लोकेश एम ने बताया कि मॉडल टाउन गोलचक्कर से मामूरा तक करीब 2.9 किलोमीटर लंबी सड़क बनी है। इस सड़क पर आने-जाने वाले दोनों रास्तों पर सुबह-शाम लंबे जाम में फंसना पड़ता है। इसको देखते हुए अथॉरिटी मार्ग का कई निरीक्षण और सर्वेक्षण के बाद मॉडल मोबिलिटी कॉरिडोर बनाने की योजना तैयार करवाई है। अथॉरिटी के मुताबिक, इस कॉरिडोर के बनने से नोएडा और गाजियाबाद के करीब 5 लाख लोगों को इस रूट पर लगने वाले जाम से राहत मिलेगी।

6 महीने में काम पूरा होना संभव नहीं

नोएडा अथॉरिटी का दावा है कि मॉडल मोबिलिटी कॉरिडोर का काम 6 महीने में पूरा कर लिया जाएगा, लेकिन ऐसा संभव नहीं लग रहा है। बताया जा रहा है कि इस योजना के तहत रोड इंजीनियरिंग के जरिए लंबी दूरी और कम दूरी वाले ट्रैफिक को भी बांटने का प्रयास किया जाएगा। इससे कम दूरी वाला ट्रैफिक सर्विस रोड से निकाला जाएगा, जिससे मुख्य सड़क पर वाहनों का दबाव कम होगा। ऐसे में जो वाहन कम दूरी के होंगे वह मुख्य सड़क पर जाने के बजाय बाएं मुड़कर सर्विस रोड से आसानी से गुजरेंगे। इतना काम 6 महीने में पूरा नहीं हो पाएगा। इस काम को पूरा होने में एक साल का समय लग सकता है।

गोलचक्कर को छोटा करना शुरू

नोएडा अथॉरिटी ने सेक्टर-62 गोल चक्कर बनाए शौचालय को हटा दिया है। साथ ही गोलचक्कर के आसपास सर्वे कर उसे भी छोटा करना शुरू कर दिया है। सीईओ के मुताबिक, सके पास ही छिजारसी की तरफ जाने वाली सड़क किनारे ऑटो और ई-रिक्शा स्टैंड बनाया जाएगा।रोड इंजीनियरिंग के जरिए लंबी और कम दूरी वाले ट्रैफिक को बांटा जाएगा। इससे कम दूरी वाला ट्रैफिक सर्विस रोड से निकाला जाएगा। मुख्य सड़क पर वाहनों का दबाव कम होगा।

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