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टूटी खपरैल में रहने वाले दिव्यांग के खाते में आए 97 लाख, एक्शन में UP पुलिस; श्रोत ढूंढने में जुटीं खुफिया एजेंसियां

यूपी के बरेली जिले के नवाबगंज क्षेत्र में रहने वाले एक दिव्यांग के बैंक खाते में लाखों रुपये आ गए। इतने सारे रूपयों को देखकर दिव्यांग बौखला गया। उसकी समझ में ही नहीं आ रहा था कि इतने रुपये कहां से आ गए। खाते में आए लाखों रुपयों के चलते उसकी नींद भी उड़ गई। फिर उसने सारे रुपयों को खर्च कर डाला। इसकी जानकारी जब खुफिया एजेंसी को हुई तो उसने जांच पड़ताल शुरू की। जांच में पता चला कि दिव्यांग के बैंक खाते में आए 97 लाख रुपये का उसने दो माह में ट्रांजेक्शन कर डाला। मामला फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट इंडिया की पकड़ में आने के बाद पुलिस ने जांच कर उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है। पुलिस ने उसके बैंक रिकॉर्ड को कब्जे में लेने के बाद जांच पड़ताल शुरू कर दी है।

नवाबगंज थानाक्षेत्र के रत्ना नंदपुर गांव का पुनीत कुमार दोनों पैरों से दिव्यांग है। उसका जनसंपर्क स्मॉल फाइनेंस बैंक लिमिटेड शाखा रामपुर गार्डन में बैंक खाता है। उसके बैंक खाते से 15 जुलाई से 18 सितंबर 2024 तक 97.24 लाख रुपये का लेनदेन हुआ। जिसमें से 97 लाख रुपये का लेनदेन 18 सितंबर को किया गया। मामला फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट इंडिया की पकड़ में आने के बाद (एफआईयू-इंडी) सस्पीशियस ट्रांजेक्शन रिपोर्ट पुलिस को भेजी गई। जिस पर सीओ के नेतृत्व में गठित टीम ने मामले की पड़ताल की तो बैंक स्टेटमेंट और खाताधारक पुनीत कुमार के बयानों का मिलान नहीं हो सका।

जिसकी रिपोर्ट एसआई विजय सिंह ने तैयार की। जांच कमेटी ने संस्तुति करने के बाद कोतवाल राहुल सिंह को भेज दी। शुक्रवार को एसआई विजय सिंह की ओर से पुनीत कुमार के खिलाफ थाना नवाबगंज में मुकदमा दर्ज कराया गया है। नवाबगंज कोतवाल राहुल सिंह ने बताया, खाते से इतनी बड़ी रकम निकालना काफी संदिग्ध है। खाताधारक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। मामले की विस्तृत जांच के बाद ही पता चलेगा कि रुपये कहां से आए और किस माध्यम से खाते से निकाले गए हैं।

पुनीत ने गांव में खोली थी वेल्डिंग की दुकान

जिस दिव्यांग पुनीत के खाते में 97 लाख रुपये आए थे। उसके घर की हालत ठीक नहीं है। पुलिस के अनुसार पुनीत ने जनवरी 2024 में लाइखेड़ा गांव में एग्रो नाम से एक वेल्डिंग की दुकान शुरू की थी, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। इसके बाद उसने गांव में ही दुकान खोली, जिसे पता चलाता था। फिर पिता बीमार पड़ गए तो दुकान भी बंद हो गई। पुनीत ने बरेली के कॉल सेंटर में नौकरी भी की। फिर वह रुद्रपुर चला गया, वहां काम नहीं मिला तो घर लौट आया था।

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