जीएसटी परिषद ने लिए कई फैसले, पॉपकॉर्न पर 18 फीसदी तक GST, क्या सस्ता-महंगा हुआ, एक क्लिक में जानें
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में शनिवार को राजस्थान के जैसलमेर में हुई 55वीं जीएसटी परिषद की बैठक में विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को प्रभावित करने वाले बदलाव किए गए. जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक के बाद वित्त मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि चावल पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने का निर्णय लिया गया है.
केंद्रीय वित्त मंत्री ने शनिवार को घोषणा की कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने चावल पर कर की दर को घटाकर 5 प्रतिशत करने, जीवन रक्षक जीन थेरेपी को कर मुक्त करने और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (एसएएम) के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले पुर्जों के लिए जीएसटी छूट की अवधि बढ़ाने को मंजूरी दे दी है. आपको बताते हैं कि बैठक के बाद क्या सस्ता, क्या महंगा होगा.
ये चीजें हो जाएंगी महंगी
1) पुरानी कारें, जिनमें पुरानी इलेक्ट्रिक गाड़ियां भी शामिल हैं- जीएसटी परिषद ने नई इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए पुरानी कारों पर कर की दर को मौजूदा 12% से बढ़ाकर 18% करने का फैसला किया है. हालांकि, यह केवल व्यवसायों द्वारा इस्तेमाल की गई कारों के लिए है. निजी व्यक्ति ऐसी पुरानी कारों को बिना जीएसटी के बेच सकते हैं.
2) कैरामेलाइज़्ड पॉपकॉर्न- अगर आपके द्वारा खरीदा गया पॉपकॉर्न साधारण नमक और मसालों से तैयार किया गया है और ये पैकेज्ड और लेबल्ड नहीं है, तो फिर इस पर 5 फीसदी की दर से जीएसटी लागू होगा. वहीं दूसरी ओर अगर यही यही नमक और मसालों वाला पॉपकॉर्न पैकेज्ड और लेबल्ड होकर बेचा जाता है, जो फिर इस पर टैक्स की दर 5% की जगह बढ़कर 12% हो जाएगी.
चीनी जैसे कारमेल से तैयार पॉपकॉर्न को ‘चीनी कन्फेक्शनरी’ की कैटेगरी में रखा गया है और इस पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगेगा.
क्या हो जाएगा सस्ता?
1) जीन थेरेपी- जीएसटी परिषद ने जीन थेरेपी को किसी भी जीएसटी से पूरी तरह छूट दे दी है.
2) चावल, एएसी ब्लॉक, किशमिश, काली मिर्च- जीएसटी परिषद ने सार्वजनिक वितरण के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले फोर्टिफाइड चावल की गुठली पर जीएसटी दरों को 18% से घटाकर 5% कर दिया है. 50% फ्लाई ऐश वाले एएसी ब्लॉक पर 12% जीएसटी दर लागू होगी. किसानों द्वारा सीधे आपूर्ति की जाने वाली काली मिर्च और किशमिश को जीएसटी से छूट दी जाएगी.
3) बैंक पैनल चार्ज- बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा ऋण शर्तों का पालन न करने पर उधारकर्ताओं पर लगाए गए दंडात्मक शुल्क पर कोई जीएसटी नहीं लगाया जाएगा.
4) पेमेंट एग्रीगेटर- ₹2,000 से कम के भुगतान को संभालने वाले पेमेंट एग्रीगेटर जीएसटी छूट के लिए पात्र होंगे, लेकिन यह पेमेंट गेटवे या फिनटेक कंपनियों पर लागू नहीं होगा.
5) मुआवज़ा उपकर- व्यापारी निर्यातकों को आपूर्ति पर मुआवज़ा उपकर की दर घटाकर 0.1% कर दी गई है, जो इसे ऐसी आपूर्ति पर जीएसटी दर के अनुरूप बनाती है.
6) छोटी कंपनियों का पंजीकरण- सीतारमण ने कहा कि छोटी कंपनियों के लिए पंजीकरण को आसान बनाने के लिए जीएसटी अधिनियमों में संशोधन किया जाना चाहिए. इसके लिए एक अवधारणा नोट को सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है.
इन चीजों पर नहीं हुआ कोई फैसला
वित्त मंत्री ने आगे बताया कि बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई कि क्या क्विक कॉमर्स कंपनियों और ई-कॉमर्स ऐप द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले खाद्य पदार्थों की डिलीवरी के शुल्क पर अलग से जीएसटी लगाया जाना चाहिए, लेकिन इस मामले में कोई फैसला नहीं लिया गया है. उन्होंने कहा कि परिषद ने महसूस किया कि इस मुद्दे पर अधिक विस्तृत चर्चा की जरूरत है.
एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) को जीएसटी के दायरे में लाने के बारे में अभी तक कोई फैसला नहीं किया गया है, क्योंकि कई राज्य इस कदम का विरोध कर रहे हैं. भविष्य की बैठकों में इस मुद्दे पर और चर्चा होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य बीमा पर गठित मंत्री समूह को अभी तक बीमा नियामक आईआरडीएआई से इनपुट प्राप्त नहीं हुए हैं, इसलिए इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए और समय की आवश्यकता है.
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि परिषद ने इस बात पर चर्चा की कि निर्माण के लिए फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) पर जीएसटी रिवर्स चार्ज या फॉरवर्ड चार्ज पर होना चाहिए या नहीं. इस मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं लिया गया, क्योंकि इसका नगर पालिकाओं के राजस्व पर प्रभाव पड़ता है और इसके अलावा, भूमि राज्य का विषय है.