गबन के आरोप में निलंबित उप डाकपाल ने ट्रेन से कटकर जान दी, सुसाइड नोट में लगाए गंभीर आरोप
बुलंदशहर : गबन के आरोप में निलंबित चल रहे उप डाकपाल ने रविवार को खुदकुशी कर ली. एक दिन पहले शनिवार को डाककर्मी से सीबीआई ने करीब 6 घंटे तक पूछताछ भी की थी. मौत को गले लगाने से पहले डाककर्मी ने परिजनों के एक पत्र भी लिखा है, जिसमें कहा है कि उसे एक अफसर ने फंसाया है. साथ ही जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करने और प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है.
मामला सिटी कोतवाली के गिरधारी नगर स्थित रेलवे लाइन का है. दलित डाककर्मी राहलु ढाई करोड़ के गबन के आरोप में 1 महीने से सस्पेंड चल थे. शनिवार को CBI ने उनसे 6 घंटे गबन के आरोप में 1 महीने से सस्पेंड चल रहा था. रविवार सुबह राहुल ने जान दे दी. राहुल ने मौत से पहले लिखे पत्र में लिखा है कि सीनियर अफसर के महिलाओं से संबंध थे, जिसका पता उसे चल गया था. इससे वो नाराज थे. उन्होंने जातिसूचक शब्द कहे, गालियां दीं. लिखा है-मुझे 26 नवंबर को मंडलीय कार्यालय की टीम ने सस्पेंड कर दिया. 23 नवंबर तक 5599 रजिस्ट्री में से 3600 रजिस्ट्री लंबित थीं, जबकि 1766 रजिस्ट्री डिस्पैच हो चुकी थीं. सभी लिफाफे पर डाक टिकट दूसरे ने लगाए थे, मगर आरोप मुझ पर मढ़ दिया गया. इससे पहले, डिबाई फर्जी डाक टिकट मामले में जांच हुई थी, लेकिन किसी के खिलाफ न तो FIR हुई, न ही सस्पेंड किया गया. वहीं मेरे मामले में तत्काल CBI जांच कराई गई. जानबूझकर मुझे निशाना बनाया गया.
लिखा है कि सीनियर अफसरों ने पहले भी जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया. जिस अफसर ने परेशान किया, उसकी पत्नी भी डाक विभाग में है.
मैंने 14 सालों तक ईमानदारी और लगन से काम किया, लेकिन मेरे खिलाफ जातीय आधार पर जांच कराई गई. मेरी मौत के जिम्मेदार मंडलीय कार्यालय के अधिकारी हैं.
बता दें कि इस केस में पहली FIR जुलाई में हुई थी. इसमें डाकपाल टीपी सिंह, उप डाकपाल राहुल कुमार, क्लर्क गोपाल और एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को नामजद किया गया. इसमें चारों पर भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोप लगाए गए थे. इसके बाद केस में CBI इनवॉल्व हो गई. CBI गाजियाबाद की एंटी करप्शन यूनिट ने 20 जुलाई को बुलंदशहर नगर के प्रधान डाकघर पर छापा मारा था. 10 घंटे तक डॉक्यूमेंट की जांच की थी.
जांच में यह भी सामने आया कि मेल (रजिस्ट्री, स्पीड पोस्ट एवं पार्सल) की बुकिंग में 2 करोड़, 50 लाख, 91 हजार के जाली टिकट लगाकर फर्जीवाड़ा किया गया. आरोप डाक अधीक्षक, उप डाकपाल, क्लर्क और एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पर लगा. इसके बाद 26 नवंबर तीनों को सस्पेंड कर दिया गया था.