UPS को लेकर केंद्र सरकार की बड़ी घोषणा, 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा फैसला, जानिए किसे और कितना मिलेगा लाभ
केंद्र सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को अधिसूचित कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शनिवार को यूपीएस को मंजूरी दे दी है. केंद्र सरकार ने अपने सरकारी कर्मचारियों को नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) के तहत यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) का विकल्प पेश किया है. राज्यों के लिए भी इसमें विकल्प दिया गया है. यूपीएस सरकार की नई स्कीम है. सरकार ने घोषणा की है कि सरकारी कर्मचारियों के लिए एनपीएस के तहत यूपीएस एक विकल्प के रूप में उपलब्ध होगी. सरकार की ओर से 24 जनवरी को UPS को अधिसूचित किया गया है. UPS ऐसे केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों पर लागू होगी, जो NPS के अंतर्गत आते हैं. मौजूदा केंद्रीय सरकारी कर्मचारी या तो NPS के तहत UPS विकल्प चुन सकते हैं या UPS विकल्प के बिना NPS को जारी रख सकते हैं. मतलब नई पेंशन स्कीम उन कर्मचारियों के लिए है, जो पहले से ही एनपीएस में हैं. यह ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) और नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) दोनों के फायदे मिलाकर बनाई गई है. इससे कर्मचारियों को अब पेंशन मिलेगी.
एनपीएस कब लागू हुई
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार एनपीएस लेकर आई थी. यूपीएस ओल्ड पेंशन स्कीम और एनपीएस के फायदों को मिलाकर तैयार की गई है. यह सरकारी कर्मचारियों को अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में प्रदान करती है. कर्मचारियों को महंगाई भत्ता, फैमिली पेंशन और एकमुश्त भुगतान जैसे लाभ भी मिलेंगे. एनपीएस के तहत आने वाले कर्मचारियों को यूपीएस चुनने का विकल्प दिया जाएगा. सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए भी यूपीएस के तहत लाभ का प्रावधान है.
यूपीएस के फायदे
यूपीएस ओल्ड पेंशन स्कीम से काफी मिलती-जुलती है. इस योजना के तहत कर्मचारी की मृत्यु होने पर उनके परिवार को पेंशन का 60% फैमिली पेंशन के रूप में दिया जाएगा. रिटायरमेंट के समय कर्मचारियों को ग्रेच्युटी के अलावा एकमुश्त भुगतान भी मिलेगा. यदि कोई कर्मचारी कम से कम 10 साल तक केंद्र सरकार की नौकरी करता है तो उसे न्यूनतम 10,000 रुपये प्रति माह पेंशन मिलेगी.
लेकिन ये दावे नहीं कर सकेंगे
अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि जो कर्मचारी यूपीएस का विकल्प चुनते हैं, वे किसी अन्य नीतिगत रियायत, नीतिगत बदलाव, वित्तीय लाभ या भविष्य में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के साथ किसी भी तरह की समानता का दावा नहीं कर सकेंगे. UPS चुनने वाले कर्मचारियों के रिटायरमेंट फंड में दो हिस्से होंगे- एक व्यक्तिगत फंड और दूसरा पूल फंड. व्यक्तिगत फंड में कर्मचारी का योगदान और सरकार का समान योगदान होगा. वहीं पूल फंड में सरकार का अतिरिक्त योगदान होगा.
ये अधिसूचना 23 लाख सरकारी कर्मचारियों को यूपीएस और एनपीएस के बीच चयन करने का विकल्प देगी. राज्य सरकारों को भी यूपीएस चुनने का विकल्प भी दिया जाएगा. यदि राज्य सरकार यूपीएस का विकल्प चुनती हैं, तो लाभार्थियों की संख्या लगभग 90 लाख होगी. सरकार के मुताबिक एरियर पर 800 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. पहले वर्ष में वार्षिक लागत वृद्धि लगभग 6,250 करोड़ रुपये होगी. यूपीएस 1 अप्रैल, 2025 से लागू होगी.
सैलरी का आधा पेंशन
यूनिफाइड पेंशन स्कीम के तहत 25 साल या इससे ज्यादा समय तक नौकरी करने वाले कर्मचारियों को पूरी पेंशन का लाभ मिलेगा. उन्हें रिटायर होने के बाद हर महीने उनकी आखिरी 12 महीने की एवरेज सैलरी का आधा यानी 50% पेंशन के तौर पर दिया जाएगा. हालांकि, अगर कोई कर्मचारी 25 साल से कम काम करता है तो उसे उसी हिसाब से पेंशन दी जाएगी. इस स्कीम के तहत पेंशन पाने के लिए कम से कम 10 साल काम करना जरूरी है.
सरकार ने UPS पेंशन फंड में अपना योगदान भी बढ़ा दिया है. पहले इसमें सरकार की तरफ से 14 प्रतिशत का कॉन्ट्रीब्यूशन किया जाता था, लेकिन अब यूपीएस के तहत सरकार का कॉन्ट्रीब्शून बढ़कर 18.5 प्रतिशत हो गया है.
ये फायदे भी मिलेंगे
यूपीएस के तहत कर्मचारी को फैमिली पेंशन का भी फायदा भी मिलेगा. यदि नौकरी के दौरान या रिटायरमेंट के बाद किसी सरकारी कर्मचारी की मौत हो जाती है तो पति या पत्नी को पेंशन दी जाएगी, लेकिन पेंशन अमाउंट कर्मचारी को मिल रही पेंशन का 60 % होगा. यूनिफाइड पेंशन स्कीम के जरिये सरकारी कर्मचारियों को इंफ्लेशन इंडेक्सेशन का भी फायदा मिलेगा. यानी अगर महंगाई बढ़ती है तो रिटायर कर्मचारियों के साथ-साथ फैमिली पेंशन का लाभ उठा रहे लोगों को ज्यादा पेंशन मिलेगी.