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पाकिस्तान के बाद अब इस देश के खिलाफ फूटा भारतीयों का जरबदस्त गुस्सा, करोड़ों का करा दिया नुकसान

भारत-पाकिस्तान सैन्य टकराव के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान को न सिर्फ सशस्त्र ड्रोन उपलब्ध कराए, बल्कि उनके संचालन के लिए प्रशिक्षित ऑपरेटर भी भेजे थे. इससे तुर्की का पाकिस्तान प्रेम खुलकर सामने आ गया है. सीजफायर के बाद पाकिस्तान के इस दोस्त के खिलाफ भारत में विरोध शुरू हो गया है और बॉयकॉट तुर्की मुहिम जोर पकड़ने लगी है. भारत-पाकिस्तान के इस 4 दिन के ‘युद्ध’ से हमने 2 महत्वपूर्ण सबक सीखे हैं.

पहला सबक- ‘जो सबका दोस्त बनना चाहता है कोई उसका सच्चा दोस्त नहीं बनता’. मशहूर दार्शनिक अरस्तु ने ये बात कही थी. भारत के संबंध में ये बात अमेरिका जैसे दोस्तों पर सटीक बैठती है. भारत के मुश्किल समय में अमेरिका ने हमेशा बीच का रास्ता अपनाया, और कभी भारत का पक्ष नहीं लिया, जबकि भारत अमेरिका को दोस्त की तरह देखता है. इसीलिए अब भारत को दोस्त और व्यापारिक साझीदार में फर्क करना सीखना होगा.

दूसरा सबक- अब हमें पता है कि पाकिस्तान के दोस्त कौन हैं. इस युद्ध में तुर्की, चीन और अजरबैजान ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया. तुर्की  ने अपने ड्रोन्स से पाकिस्तान की मदद की और पाकिस्तान ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर भारत के खिलाफ साजिश की. तुर्की- अजरबैजान और चीन ने खुलकर पाकिस्तान का पक्ष लिया. इन तीनों देशों ने पाकिस्तानी आतंकवाद पर अपने दोहरे चरित्र का प्रदर्शन किया. सबसे ज्यादा शर्मनाक हरकत तो तुर्की ने की.

तुर्की ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद एक बार भी ये नहीं कहा कि इस हमले में शामिल आतंकी पाकिस्तान से आए थे, लेकिन जब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकाने तबाह किए, तब वो पाकिस्तान के पक्ष में बोलने लगा. तुर्की के विदेश मंत्रालय ने भारतीय सेना के एक्शन के बाद एक पत्र जारी किया, जिसमें उसने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत किया गया हमला ‘उकसाने’ वाली हरकत है. उसका कहना था कि भारत के इस कदम से एक बड़ी जंग शुरू हो सकती है.

भारत ने संकट में की थी तुर्की की मदद

इससे आप समझ सकते हैं कि तुर्की, आतंकी देश पाकिस्तान को लेकर कितनी गंभीरता से अपनी दोस्ती निभा रहा है. तुर्की ने पाकिस्तान को केवल वैचारिक समर्थन ही नहीं दिया, बल्कि भारत से लड़ने के लिए हथियार भी दिए. ये वही तुर्की है जिसके बुरे वक्त में भारत ने उसकी दिलखोलकर मदद की थी. साल 2023 में जब तुर्की में रिक्टर स्केल 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था, तब भारत उन देशों में शामिल था, जिसने सबसे पहले उसे मानवीय मदद भेजी थी. उस वक्त भारत ने राहत सामग्री और मेडिकल सपोर्ट भेजा था. इस मदद को मिशन के तौर पर देखते हुए भारत ने इसे नाम दिया था ऑपरेशन दोस्त.

तुर्की ने PAK को दिए ड्रोन्स और उन्हें चलाना भी सिखाया

भारत, तुर्की के बुरे समय में उसके साथ खड़ा था, और उसे दोस्त की तरह देख रहा था, लेकिन आज वही तुर्की, भारत के खिलाफ खड़ा है. आज वो धर्म के नाम पर इस्लामिक आतंकवाद के केंद्र पाकिस्तान के साथ है. और उसने अपने हथियारों से भारत पर हमले करवाए. भारत पर 8 और 9 मई की रात को 350 से ज्यादा ड्रोन्स ने हमला किया था और पाकिस्तान को ये ड्रोन्स तुर्की की तरफ से ही मिले थे. भारत पर हुए ये ड्रोन हमले तुर्की की सेना की निगरानी में किए गए थे. यानी जिस वक्त तुर्की के आत्मघाती ड्रोन से हमले हो रहे थे, उस वक्त तुर्की के सैन्य अधिकारी, पाकिस्तान के सैन्य कमांड सेंटर में मौजूद थे. तुर्की ने पाकिस्तान को ड्रोन्स उड़ाने और भारत के रिहायशी इलाकों पर हमले करने की ट्रेनिंग दी थी. पाकिस्तानी सेना को आत्मघाती ड्रोन्स ऑपरेट करने नहीं आते थे, तुर्की ने इसमें भी उनकी मदद की, तुर्की के 2 Drone ऑपरेटर्स भी पाकिस्तानी भेजे गए थे. इन लोगों ने पाकिस्तानी सेना को ड्रोन हमले की ट्रेनिंग दी थी. हालांकि तुर्की की ये चाल कामयाब नहीं हुई. भारत ने उन ड्रोन्स और ड्रोन ऑपरेटर्स सभी को मार गिराया.

तुर्की और अजरबैजान पर भारत की ‘टूरिज़्म स्ट्राइक’ 

इस ‘युद्ध’ में पाकिस्तान ही नहीं, उसके दोस्तों ने भी अपनी असलियत दिखा दी. इसीलिए सरकार ने भारत में तुर्की के सरकारी न्यूज चैनल TRT WORLD का एक्स अकाउंट बंद करवा दिया है, ताकि वो भ्रम ना फैला पाए. इस कदम को भारत की नाराजगी के तौर पर देखा गया है. भारत सरकार ने अपने स्तर पर तुर्की और अजरबैजान को एक संदेश देने की कोशिश कर रही है. लेकिन भारत के लोग, पाकिस्तान के दोस्तों पर हमला बोल चुके हैं. भारतीय सैलानियों और ट्रैवल एजेंसियों ने तुर्की और अजरबैजान पर ‘टूरिज़्म स्ट्राइक’ कर दी है. इस वक्त सोशल मीडिया पर बायकॉट तुर्की और बायकॉट अजरबैजान टॉप ट्रेंडिंग में चल रहा है. यानी लोगों ने तय कर लिया है कि वो भारत के दुश्मनों का साथ देने वाले देशों में पैसा बर्बाद नहीं करेंगे. ट्रैवल एजेंसीज़ ने भी तुर्की और अज़रबैजान के लिए बुकिंग बंद कर दी है.

तुर्की और अजरबैजान को होगा बड़ा घाटा

भारतीयों के बीच तुर्की और अजरबैजान को लेकर पनपा गुस्सा, इन देशों के लिए बड़े घाटे का सौदा साबित होने वाला है. बड़ी संख्या में भारतीय सैलानी तुर्की और अजरबैजान घूमने के लिए जाते हैं और अपने लाखों रुपये इन देशों में खर्च करते हैं.

– साल 2024 में 3 लाख 30 हजार से ज्यादा भारतीय, तुर्की में छुट्टियां मनाने गए थे. जबकि साल 2023 में ये संख्या 2 लाख 74 हजार थी. यानी 1 साल में तुर्की जाने वाले भारतीय सैलानियों की संख्या में करीब 21 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई.

– इसी तरह से पिछले साल 2 लाख 43 हजार से ज्यादा भारतीय अजरबैजान घूमने गए थे. जबकि 2023 में ये संख्या करीब 1 लाख 20 हजार थी. यानी एक साल में अजरबैजान जाने वाले सैलानियों की संख्या में करीब 108 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी. तुर्की और अजरबैजान जाने वाले भारतीय घूमने फिरने पर लाखों रुपये खर्च करते हैं.

– एक डेटा बताता है कि तुर्की और अजरबैजान में भारतीय सैलानी औसतन 1 लाख रुपये प्रति व्यक्ति खर्च तक करते हैं और इस तरह से पिछले साल इन दोनों देशों में भारत के लोगों ने करीब 4 हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं.

तुर्की और अजरबैजान के नागरिकों के लिए बुकिंग बंद

Ease My Trip, ixigo, Cox & kings और India & The World जैसी ट्रैवेल एजेंसियों ने तुर्की, अजरबैजान और चीन के लिए ट्रैवल बुकिंग बंद कर दी है. इसके अलावा भारत में मौजूद Goa Villas जैसे होटल्स ने तुर्की और अजरबैजान के नागरिकों के लिए अपनी बुकिंग बंद कर दी है. इन ट्रैवल एजेंसियों ने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान का समर्थन करने की वजह से ये फैसला लिया है. ट्रैवल एजेंसियों का कहना है कि भारतीयों का पैसा एक ऐसे देश पर खर्च नहीं होना चाहिए, जो भारत के खिलाफ हैं. तुर्की, अजरबैजान के बजाए भारतीय सैलानियों को ग्रीस, और अर्मेनिया जैसे देशों की सैर करने की सलाह दी गई है और इसके अच्छे ऑफर्स भी दिए जा रहे हैं.

बड़ी संख्या में तुर्की और अजरबैजान जाते हैं भारतीय

तुर्की और अजरबैजान को भारत के लोग टूरिज्म के नाम पर 4 हजार करोड़ रुपये सालाना दे रहे हैं और ये दोनों देश पाकिस्तान की मदद कर रहे हैं और पाकिस्तान, उनकी मदद के दम पर भारतीयों का खून बहा रहा है, लेकिन भारत के लोगों के इस कदम से तुर्की और अजरबैजान के टूरिज्म को झटका लगा है.

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