उत्पीड़न मामले में फंसे इंफोसिस के को-फाउंडर गोपालकृष्णन, 17 दूसरे लोगों पर भी SC/ST एक्ट के तहत केस दर्ज
इंफोसिस के को-फाउंडर सेनापति क्रिस गोपालकृष्णन और आईआईएससी के पूर्व निदेशक बलराम सोमवार को मुश्किल में फंस गए। इन दोनों और 16 अन्य के खिलाफ एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया। यह मामला 71वें सिटी सिविल एंड सेशन कोर्ट (सीसीएच) के निर्देशों के आधार पर बेंगलुरु के सदाशिव नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया। शिकायतकर्ता दुर्गाप्पा, जो आदिवासी बोवी समुदाय से हैं, भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) में सेंटर फॉर सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी में फैकल्टी मेंबर थे। उन्होंने दावा किया कि उन्हें हनी ट्रैप मामले में झूठा फंसाया गया और बाद में 2014 में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि उन्हें जातिवादी गालियाँ और धमकियाँ दी गईं।
और किस-किस पर लगा है आरोप
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार इस मामले में आरोपी अन्य व्यक्तियों में गोविंदन रंगराजन, श्रीधर वारियर, संध्या विश्वेश्वरैह, हरि केवीएस, दासप्पा, बलराम पी, हेमलता मिशी, चट्टोपाध्याय के, प्रदीप डी सावकर और मनोहरन शामिल हैं। आईआईएससी फैकल्टी या क्रिस गोपालकृष्णन, जो आईआईएससी बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के मेंबर के रूप में भी कार्य करते हैं, की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
क्रिस गोपालकृष्णन की प्रोफाइल
क्रिस गोपालकृष्णन इंफोसिस के को-फाउंडरों में से एक हैं। उन्होंने 2011 से 2014 तक कंपनी के उपाध्यक्ष और 2007 से 2011 तक इंफोसिस के सीईओ और एमडी के रूप में काम किया। जनवरी 2011 में भारत सरकार ने गोपालकृष्णन को देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया।
गोपालकृष्णन को 2013-14 के लिए भारत के टॉप इंडस्ट्री चैंबर भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) का अध्यक्ष चुना गया और जनवरी 2014 में दावोस में विश्व आर्थिक मंच के सह-अध्यक्षों में से एक के रूप में कार्य किया।