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UPI सर्विस में गड़बड़ी हुई तो सरकार ने उठाया बड़ा कदम, वित्त मंत्री ने दिए सुधार के कड़े आदेश

नई दिल्ली: पिछले कुछ हफ्तों से यूपीआई सर्वर डाउन होने से यूजर्स को दिक्कतों को सामना करना पड़ा है. सरकार भी यूपीआई आउटेज को लेकर चौकन्नी हो गई है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में यूपीआई में व्यवधान को लेकर समीक्षा बैठक की. जिसमें उन्होंने बुनियादी ढांचे की कमी को दूर करने और 2-3 वर्षों के भीतर एक अरब दैनिक यूपीआई लेनदेन हासिल करने के लिए सामूहिक कार्रवाई का आह्वान किया.

रिपोर्ट के मुताबिक, उपयोगकर्ताओं को 26 मार्च, 2 अप्रैल और 12 अप्रैल को यूपीआई लेनदेन में दिक्कतों का सामना करना पड़ा. दो सप्ताह से कम समय में तीसरी बार यूपीआई सर्वर डाउन होने की समस्या हुई थी.

सीतारमण ने एनपीसीआई को यूपीआई की विश्वसनीयता बढ़ाने, यूजर अनुभव को बेहतर बनाने और भविष्य में व्यवधानों को रोकने के लिए साइबर सुरक्षा को मजबूत करने का निर्देश दिया. उन्होंने इंटरऑपरेबल फ्रेमवर्क के माध्यम से यूपीआई की वैश्विक पहुंच का विस्तार करने और अंतरराष्ट्रीय भुगतान स्वीकृति बढ़ाने पर जोर दिया. साथ ही अधिक उपयोगकर्ताओं और व्यापारियों को शामिल करने के प्रयासों का भी आग्रह किया.

वित्त मंत्रालय ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सभी हितधारकों से बुनियादी ढांचे की खामियों को दूर करने, अंतिम उपयोगकर्ता अनुभव और साइबर सुरक्षा को बढ़ाने के लिए सहयोगात्मक रूप से काम करने का आग्रह किया. केंद्रीय वित्त मंत्री ने एनपीसीआई को यूपीआई को और मजबूत करने और भविष्य में व्यवधानों को रोकने का निर्देश दिया.”

समीक्षा बैठक में शामिल हुए ये अधिकारी

यूपीआई को लेकर समीक्षा बैठक में कथित तौर पर वित्त सचिव अजय सेठ, वित्तीय सेवा सचिव एम नागराजू और एनपीसीआई के सीईओ दिलीप असबे ने भाग लिया, जिसमें निर्बाध सेवा सुनिश्चित करने और उपयोगकर्ता का विश्वास बनाए रखने के लिए यूपीआई की लचीलापन, मापनीयता और रीयल टाइम निगरानी में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया गया.

यूपीआई लेनदेन में 42% की वृद्धि

रिपोर्ट के मुताबिक, 2019-20 से 2024-25 तक यूपीआई ने लेन-देन में 72 प्रतिशत सीएजीआर (चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर) देखा है. 2021-22 और 2024-25 के बीच 26 करोड़ नए यूजर और 5.5 करोड़ व्यापारी शामिल हुए. यूपीआई के 45 करोड़ सक्रिय उपयोगकर्ता थे. 2024-25 में, यूपीआई ने 261 लाख करोड़ रुपये के लेन-देन (30% वृद्धि) और 18,586 करोड़ लेनदेन मात्रा (42% वृद्धि) दर्ज किए.

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